Sunday, February 10, 2019

सफ़र

मैं सफर हुं सावन का
गाड़ी में से हाथ निकालो और
भिगो लो अपने हाथों को बरसती हुई छोटी-छोटी बूँदों से....
मैं सेमल का पेड़ हुं
मुझे जोर से झकजोरो और
गिरती टूटती पत्तियों को बंद कर लो अपने हाथों
में...
मैं बिखरी हुई याद हुं
मुझे समेटो और
बना लो एक तस्वीर और छुपा लो हमेशा के लिये
अपने दिल में....

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