मैं सफर हुं सावन का
गाड़ी में से हाथ निकालो और
भिगो लो अपने हाथों को बरसती हुई छोटी-छोटी बूँदों से....
मैं सेमल का पेड़ हुं
मुझे जोर से झकजोरो और
गिरती टूटती पत्तियों को बंद कर लो अपने हाथों
में...
मैं बिखरी हुई याद हुं
मुझे समेटो और
बना लो एक तस्वीर और छुपा लो हमेशा के लिये
अपने दिल में....
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