1.जब भूख आती है ना साहब
और मुझे छोड़ कर मेरी फूल सी
मासूम बच्ची के चेहरे पर रूदन
और आँखों मे आंसू लाती है तो
मैं स्याह रात में तंग गलियों
से निकलती हूं और अपना जिस्म
बेच देती हूं
हाँ साहब मै भूख के बदले जिस्म बेच देती हुं।
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2.आज़ादी किसे कहतें हैं?
बच्चे इस उम्मीद में बड़े हो जातें हैं कि वयस्को की ज़िंदगी बहुत बेहतरीन और उद्देश्यों की पूर्ति के लिए होती है।
लेकिन जब वो बड़े होते हैं और उन्हें पता चलता है कि ये सब बातें कोरी बकवास हैं तब इसी बिगड़ी हुई ज़िन्दगी को जश्न के साथ जीना ही सच्ची आज़ादी है।
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3.कि तुम मुझे अच्छे लगते हो...
मैंने तो कहा तुम मुझे मेरे लगते हो....
मैंने कब कहा कि मैं इश्क़ लिखता हुँ...
मैंने तो कहा मैं तुम्हे लिखता हुँ..
मैंने कब कहा कि मुझे मरहम चाहिए...
मैने तो कहा मुझे तुम्हारी छुअन चाहिए...
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