Friday, February 15, 2019

Polar vertex क्या है?

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स क्या है?

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स पर चर्चा करने से पहले, यह जान लें कि- भंवर क्या है?

भंवर का शाब्दिक अर्थ होता है द्रव या वायु का एक चक्करदार द्रव्यमान, विशेष रूप से एक भँवर या बवंडर। इसे "हवा के काउंटर-क्लॉकवाइज प्रवाह" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो ध्रुवों के पास ठंडी हवा को बनाए रखने में मदद करता है।

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स ध्रुवीय इलाकों में उपरी वायुमंडल में चलने वाली तेज़ चक्रीय हवाओं को बोलते हैं। कम दबाव वाली मौसमी दशा के कारण स्थायी रूप से मौजूद ध्रुवीय तूफ़ान उत्तरी गोलार्द्ध में ठंडी हवाओं को आर्कटिक क्षेत्र में सीमित रखने का काम करते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में दो ध्रुवीय भंवर हैं, जो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर निर्भर हैं। प्रत्येक ध्रुवीय भंवर व्यास में 1,000 किलोमीटर (620 मील) से कम एक निरंतर, बड़े पैमाने पर, निम्न-दबाव क्षेत्र है, जो उत्तरी ध्रुव (जिसे एक चक्रवात कहा जाता है) और दक्षिण ध्रुव पर घड़ी की दिशा में, दक्षिणावर्त घूमता है, अर्थात ध्रुवीय भंवर ध्रुवों के चारों ओर पूर्व की ओर घूमते हैं।

दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं- अत्यधिक ठंड आर्टिक वायु के विस्फोट के कारण होती है, जिसके परिणामस्वरूप "पोलर भंवर" घटना के रूप में जाना जाता है। आर्टिक वायु के इन ठंडे हवा के धमाकों को मजबूत जेट स्ट्रीम या ध्रुवीय जेट स्ट्रीम आर्कटिक क्षेत्र में सीमित रखने का काम करते हैं जो उच्च अक्षांश पर परिचालित होता है।। या फिर यो कहे तो यह पृथ्वी पर एक आवरण के रूप में काम करती है जो निचले वातावरण के मौसम को प्रभावित करती है।

जेट स्ट्रीम या जेट धारा वायुमंडल में तेजी से बहने व घूमने वाली हवा की धाराओं में से एक है। यह मुख्य रूप से  क्षोभमण्डल के ऊपरी परत यानि समतापमण्डल में बहुत ही तीब्र गति से चलने वाली नलिकाकारसंकरी पवन- प्रवाह अथवा वायु प्रणाली को कहते हैं। “

इसलिए, हम कह सकते हैं कि ध्रुवीय जेट स्ट्रीम एक द्वार है जो उत्तर की ओर आर्कटिक ठंडी हवा के विस्फोट को सीमित करता है।

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स भारतीय जलवायु को कैसे प्रभावित करता है?

कुछ शोध दावा करते हैं कि ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स का भारतीय जलवायु को सीधे तरीके से प्रभावित नहीं करता है लेकिन आर्कटिक हवाएं पश्चिमी विक्षोभ, नीचे की ओर सहित विभिन्न मौसम प्रणालियों को प्रभावित करती हैं। जिससे भारतीय जलवायु प्रभावित होती है।

आइए जानते हैं, भारतीय उप-महाद्वीप के उत्तरी भाग में लगातार ठंडा मौसम क्यों होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि आर्कटिक की ठंडी हवा का विस्फोट ध्रुवीय जेट स्ट्रीम से होता है, लेकिन अचानक उच्च तापमान पर दबाव, तीव्र पैसिफिक टाइफून और अवरुद्ध जैसे मजबूत समतापमंडल की घटनाओं से भंवर का विस्तार होता है और परिणामस्वरूप ठंड के मौसम की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ जाती है।

यह ध्रुवीय जेट स्ट्रीम के टूटने के कारण होता है जो आर्कटिक ठंडी हवा के विस्फोट की अनुमति देता है जो सीधे वैश्विक मौसम प्रणाली को प्रभावित करता है और भारत जैसे देश पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) की उच्च आवृत्ति और तीव्रता का सामना करते हैं जिसके परिणामस्वरूप भारी से मध्यम बर्फबारी होती है। इसे पोलर भंवर के अप्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में माना जा सकता है।

पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफ़ान को कहते हैं जो वायुमंडल की ऊँची तहों में भूमध्य सागर, अन्ध महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे अचानक वर्षा और बर्फ़ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल पर गिरा देता है। उत्तर भारत में रबी की फ़सल के लिये, विशेषकर गेंहू के लिये, यह तूफ़ान अति-आवश्यक होते हैं।

लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि उत्तर भारत में गर्मियों के मौसम (सावन) में आने वाले मानसून से पश्चिमी विक्षोभ का बिलकुल कोई सम्बन्ध नहीं होता। मानसून की बारिशों में गिरने वाला जल दक्षिण से हिन्द महासागर से आता है और इसका प्रवाह वायुमंडल की निचली तहों में होता है। मानसून की बारिश ख़रीफ़ की फ़सल के लिये ज़रूरी होती है, जिसमें चावल जैसे अन्न शामिल हैं।

इसलिए हम ऐसा कह सकते हैं की ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स वास्तव में भारत के पहाड़ी राज्यों की जलवायु को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित तो नहीं करता है, लेकिन ध्रुवीय जेट स्ट्रीम के टूटने से मध्य अक्षांश के कमजोर पड़ने लगते हैं और फिर पश्चिमी विक्षोभ का स्थान-परिवर्तन दक्षिण-पश्चिम की तरफ हो जाता है जिसके कारण उत्तरी भारत में बर्फबारी के साथ वर्षा होने लगती है।

Tuesday, February 12, 2019

अहमद फ़राज़ साहब की ग़ज़ल

अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
‘फ़राज़’ अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं


किस को बिकना था मगर ख़ुश हैं कि इस हीले से
हो गईं अपने ख़रीदार से बातें क्या क्या


अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो


किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी
बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए


अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए


Monday, February 11, 2019

काँच की गुड़िया


ऐसा हो कि तुम एक सपना देखो और उसमें देखो एक से ज़्यादा शैतानों को घसीट कर ले जाते हुये एक कांच सी गुड़िया।उस काँच सी गुड़िया के छिले हुये हाथों पाओं और बाहों को और काँच से बहते ख़ून को छिले ज़िस्म पर माँस के लोथड़ों को और फिर काँच सी गुड़िया के छन से टूटने की आवाज़ से अपनी आंखों को खोलो और वीभत्स सपने को तोड़ दो। और देखो आस पास बिखरे खून के निशानी गहरे धब्बों को काँच के किरच किरच टूटन को और फिर अपनी आंख मूंद लो चादर से ढाप लो खुद को सुबह काम पर जाने के लिये सोने का प्रयास करो....।।।

*मैं और मेरा दोस्त*

बात यही कोई 2005 के आस-पास की ही होगी क्या दिन थे वो यार... उम्र भी लगभग 10-11 साल ही रही होगी जब तुम्हारी वो पतले टायर वाली आधी लाल और लगभग पूरी काली सी साइकिल उठा कर हम हर शाम में निकल पड़ते थे ना किसी तरह की नौकरी की टेंशन न ही सैलरी की ज़रूरत और ना ही किसी गर्लफ्रैंड वर्लफ्रेंड का चक्कर हम खुद में ही मस्त रहते थे।और तुम्हारी बेईमानी भी याद है जो तुम कहते थे कि आज तू चला ले साईकिल कल मैं चला दूंगा और वो कल कभी नही आया।और सबसे अच्छा तो उस सफर का नाम होता था 'अनजानी राहों पर'...
और जब अंधेरा होते ही हम लौटते थे अपनी उस 'अनजानी राहों से' तो तेरी अम्मी की छड़ी भी याद है जो तू अगले दिन क्लास में तब बताता था जब टीचर पढ़ा रहें हो और अपने साथ मुझे भी मार खिलवाता था....और तेरे झूठे बहानो का तो कहना ही क्या उनमे भी तू मुझे अपना 'सह-अपराधी' बनाता था... क्या दिन थे वो यार।।।

Sunday, February 10, 2019

सफ़र

मैं सफर हुं सावन का
गाड़ी में से हाथ निकालो और
भिगो लो अपने हाथों को बरसती हुई छोटी-छोटी बूँदों से....
मैं सेमल का पेड़ हुं
मुझे जोर से झकजोरो और
गिरती टूटती पत्तियों को बंद कर लो अपने हाथों
में...
मैं बिखरी हुई याद हुं
मुझे समेटो और
बना लो एक तस्वीर और छुपा लो हमेशा के लिये
अपने दिल में....

Thursday, February 7, 2019

फ़िल्म समीक्षा-Adil's cut

2.5/5

स्टारर-- शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा, कटरीना कैफ,जीशान अय्यूब,सीबा चड्ढा

अपने समय से पूर्व का सिनेमा

ज़ीरो में हर वो चीज है जो 1 बड़े स्टार फ़िल्म में होना चाहिए अगर बात करें स्टोरी की तो वो ज्यादातर शाहरुख के आसपास ही घूमती है शाहरुख ने फ़िल्म में बौने का किरदार निभा कर जो साहस दिखाया वो लाज़वाब है जो किसी बड़े स्टार ने नही किया और यकीन मानिये गज़ब काम किया है।अपने हिस्से के अनुष्का और कटरीना ने अच्छा काम किया है कटरीना ने खासतौर पर अपने काम से चौकाया है।स्पेशल इफ़ेक्ट अच्छे है।अगर कहीं फ़िल्म चूकती है तो फ़िल्म के निर्देशन ने तथा फ़िल्म की लिखाई में हिमांशु शर्मा और आनंद एल रॉय थोड़ा निरास करते हैं।फ़िल्म का टॉपिक अच्छा था।अंत मे इतना कह सकते है कि ये फ़िल्म उस समय पर आई है जहाँ के शायद दर्शक तैयार नही थे।
अगर आप शाहरुख को पसन्द करते है तो फ़िल्म को 1 बार देखने मे कोई बुराई नही है।

Wednesday, February 6, 2019

3 खूबसूरत शेर

1.जब भूख आती है ना साहब
   और मुझे छोड़ कर मेरी फूल सी
   मासूम बच्ची के चेहरे पर रूदन
  और आँखों मे आंसू लाती है तो
  मैं स्याह रात में तंग गलियों
  से निकलती हूं और अपना जिस्म
  बेच देती हूं
  हाँ साहब मै भूख के बदले जिस्म बेच देती हुं।
        .............................................
2.आज़ादी किसे कहतें हैं?
   बच्चे इस उम्मीद में बड़े हो जातें हैं कि वयस्को की            ज़िंदगी बहुत बेहतरीन और उद्देश्यों की पूर्ति के लिए होती है।
लेकिन जब वो बड़े होते हैं और उन्हें पता चलता है कि ये सब बातें कोरी बकवास हैं तब इसी बिगड़ी हुई ज़िन्दगी को जश्न के साथ जीना ही सच्ची आज़ादी है।
        ...........….................................
3.कि तुम मुझे अच्छे लगते हो...
   मैंने तो कहा तुम मुझे मेरे लगते हो....
   मैंने कब कहा कि मैं इश्क़ लिखता हुँ...
   मैंने तो कहा मैं तुम्हे लिखता हुँ..
   मैंने कब कहा कि मुझे मरहम चाहिए...
   मैने तो कहा मुझे तुम्हारी छुअन चाहिए...

Polar vertex क्या है?

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स क्या है ? ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स पर चर्चा करने से पहले, यह जान लें कि-  भं...