Friday, February 15, 2019

Polar vertex क्या है?

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स क्या है?

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स पर चर्चा करने से पहले, यह जान लें कि- भंवर क्या है?

भंवर का शाब्दिक अर्थ होता है द्रव या वायु का एक चक्करदार द्रव्यमान, विशेष रूप से एक भँवर या बवंडर। इसे "हवा के काउंटर-क्लॉकवाइज प्रवाह" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो ध्रुवों के पास ठंडी हवा को बनाए रखने में मदद करता है।

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स ध्रुवीय इलाकों में उपरी वायुमंडल में चलने वाली तेज़ चक्रीय हवाओं को बोलते हैं। कम दबाव वाली मौसमी दशा के कारण स्थायी रूप से मौजूद ध्रुवीय तूफ़ान उत्तरी गोलार्द्ध में ठंडी हवाओं को आर्कटिक क्षेत्र में सीमित रखने का काम करते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में दो ध्रुवीय भंवर हैं, जो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर निर्भर हैं। प्रत्येक ध्रुवीय भंवर व्यास में 1,000 किलोमीटर (620 मील) से कम एक निरंतर, बड़े पैमाने पर, निम्न-दबाव क्षेत्र है, जो उत्तरी ध्रुव (जिसे एक चक्रवात कहा जाता है) और दक्षिण ध्रुव पर घड़ी की दिशा में, दक्षिणावर्त घूमता है, अर्थात ध्रुवीय भंवर ध्रुवों के चारों ओर पूर्व की ओर घूमते हैं।

दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं- अत्यधिक ठंड आर्टिक वायु के विस्फोट के कारण होती है, जिसके परिणामस्वरूप "पोलर भंवर" घटना के रूप में जाना जाता है। आर्टिक वायु के इन ठंडे हवा के धमाकों को मजबूत जेट स्ट्रीम या ध्रुवीय जेट स्ट्रीम आर्कटिक क्षेत्र में सीमित रखने का काम करते हैं जो उच्च अक्षांश पर परिचालित होता है।। या फिर यो कहे तो यह पृथ्वी पर एक आवरण के रूप में काम करती है जो निचले वातावरण के मौसम को प्रभावित करती है।

जेट स्ट्रीम या जेट धारा वायुमंडल में तेजी से बहने व घूमने वाली हवा की धाराओं में से एक है। यह मुख्य रूप से  क्षोभमण्डल के ऊपरी परत यानि समतापमण्डल में बहुत ही तीब्र गति से चलने वाली नलिकाकारसंकरी पवन- प्रवाह अथवा वायु प्रणाली को कहते हैं। “

इसलिए, हम कह सकते हैं कि ध्रुवीय जेट स्ट्रीम एक द्वार है जो उत्तर की ओर आर्कटिक ठंडी हवा के विस्फोट को सीमित करता है।

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स भारतीय जलवायु को कैसे प्रभावित करता है?

कुछ शोध दावा करते हैं कि ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स का भारतीय जलवायु को सीधे तरीके से प्रभावित नहीं करता है लेकिन आर्कटिक हवाएं पश्चिमी विक्षोभ, नीचे की ओर सहित विभिन्न मौसम प्रणालियों को प्रभावित करती हैं। जिससे भारतीय जलवायु प्रभावित होती है।

आइए जानते हैं, भारतीय उप-महाद्वीप के उत्तरी भाग में लगातार ठंडा मौसम क्यों होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि आर्कटिक की ठंडी हवा का विस्फोट ध्रुवीय जेट स्ट्रीम से होता है, लेकिन अचानक उच्च तापमान पर दबाव, तीव्र पैसिफिक टाइफून और अवरुद्ध जैसे मजबूत समतापमंडल की घटनाओं से भंवर का विस्तार होता है और परिणामस्वरूप ठंड के मौसम की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ जाती है।

यह ध्रुवीय जेट स्ट्रीम के टूटने के कारण होता है जो आर्कटिक ठंडी हवा के विस्फोट की अनुमति देता है जो सीधे वैश्विक मौसम प्रणाली को प्रभावित करता है और भारत जैसे देश पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) की उच्च आवृत्ति और तीव्रता का सामना करते हैं जिसके परिणामस्वरूप भारी से मध्यम बर्फबारी होती है। इसे पोलर भंवर के अप्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में माना जा सकता है।

पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफ़ान को कहते हैं जो वायुमंडल की ऊँची तहों में भूमध्य सागर, अन्ध महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे अचानक वर्षा और बर्फ़ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल पर गिरा देता है। उत्तर भारत में रबी की फ़सल के लिये, विशेषकर गेंहू के लिये, यह तूफ़ान अति-आवश्यक होते हैं।

लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि उत्तर भारत में गर्मियों के मौसम (सावन) में आने वाले मानसून से पश्चिमी विक्षोभ का बिलकुल कोई सम्बन्ध नहीं होता। मानसून की बारिशों में गिरने वाला जल दक्षिण से हिन्द महासागर से आता है और इसका प्रवाह वायुमंडल की निचली तहों में होता है। मानसून की बारिश ख़रीफ़ की फ़सल के लिये ज़रूरी होती है, जिसमें चावल जैसे अन्न शामिल हैं।

इसलिए हम ऐसा कह सकते हैं की ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स वास्तव में भारत के पहाड़ी राज्यों की जलवायु को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित तो नहीं करता है, लेकिन ध्रुवीय जेट स्ट्रीम के टूटने से मध्य अक्षांश के कमजोर पड़ने लगते हैं और फिर पश्चिमी विक्षोभ का स्थान-परिवर्तन दक्षिण-पश्चिम की तरफ हो जाता है जिसके कारण उत्तरी भारत में बर्फबारी के साथ वर्षा होने लगती है।

Tuesday, February 12, 2019

अहमद फ़राज़ साहब की ग़ज़ल

अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
‘फ़राज़’ अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं


किस को बिकना था मगर ख़ुश हैं कि इस हीले से
हो गईं अपने ख़रीदार से बातें क्या क्या


अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो


किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी
बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए


अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए


Monday, February 11, 2019

काँच की गुड़िया


ऐसा हो कि तुम एक सपना देखो और उसमें देखो एक से ज़्यादा शैतानों को घसीट कर ले जाते हुये एक कांच सी गुड़िया।उस काँच सी गुड़िया के छिले हुये हाथों पाओं और बाहों को और काँच से बहते ख़ून को छिले ज़िस्म पर माँस के लोथड़ों को और फिर काँच सी गुड़िया के छन से टूटने की आवाज़ से अपनी आंखों को खोलो और वीभत्स सपने को तोड़ दो। और देखो आस पास बिखरे खून के निशानी गहरे धब्बों को काँच के किरच किरच टूटन को और फिर अपनी आंख मूंद लो चादर से ढाप लो खुद को सुबह काम पर जाने के लिये सोने का प्रयास करो....।।।

*मैं और मेरा दोस्त*

बात यही कोई 2005 के आस-पास की ही होगी क्या दिन थे वो यार... उम्र भी लगभग 10-11 साल ही रही होगी जब तुम्हारी वो पतले टायर वाली आधी लाल और लगभग पूरी काली सी साइकिल उठा कर हम हर शाम में निकल पड़ते थे ना किसी तरह की नौकरी की टेंशन न ही सैलरी की ज़रूरत और ना ही किसी गर्लफ्रैंड वर्लफ्रेंड का चक्कर हम खुद में ही मस्त रहते थे।और तुम्हारी बेईमानी भी याद है जो तुम कहते थे कि आज तू चला ले साईकिल कल मैं चला दूंगा और वो कल कभी नही आया।और सबसे अच्छा तो उस सफर का नाम होता था 'अनजानी राहों पर'...
और जब अंधेरा होते ही हम लौटते थे अपनी उस 'अनजानी राहों से' तो तेरी अम्मी की छड़ी भी याद है जो तू अगले दिन क्लास में तब बताता था जब टीचर पढ़ा रहें हो और अपने साथ मुझे भी मार खिलवाता था....और तेरे झूठे बहानो का तो कहना ही क्या उनमे भी तू मुझे अपना 'सह-अपराधी' बनाता था... क्या दिन थे वो यार।।।

Sunday, February 10, 2019

सफ़र

मैं सफर हुं सावन का
गाड़ी में से हाथ निकालो और
भिगो लो अपने हाथों को बरसती हुई छोटी-छोटी बूँदों से....
मैं सेमल का पेड़ हुं
मुझे जोर से झकजोरो और
गिरती टूटती पत्तियों को बंद कर लो अपने हाथों
में...
मैं बिखरी हुई याद हुं
मुझे समेटो और
बना लो एक तस्वीर और छुपा लो हमेशा के लिये
अपने दिल में....

Thursday, February 7, 2019

फ़िल्म समीक्षा-Adil's cut

2.5/5

स्टारर-- शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा, कटरीना कैफ,जीशान अय्यूब,सीबा चड्ढा

अपने समय से पूर्व का सिनेमा

ज़ीरो में हर वो चीज है जो 1 बड़े स्टार फ़िल्म में होना चाहिए अगर बात करें स्टोरी की तो वो ज्यादातर शाहरुख के आसपास ही घूमती है शाहरुख ने फ़िल्म में बौने का किरदार निभा कर जो साहस दिखाया वो लाज़वाब है जो किसी बड़े स्टार ने नही किया और यकीन मानिये गज़ब काम किया है।अपने हिस्से के अनुष्का और कटरीना ने अच्छा काम किया है कटरीना ने खासतौर पर अपने काम से चौकाया है।स्पेशल इफ़ेक्ट अच्छे है।अगर कहीं फ़िल्म चूकती है तो फ़िल्म के निर्देशन ने तथा फ़िल्म की लिखाई में हिमांशु शर्मा और आनंद एल रॉय थोड़ा निरास करते हैं।फ़िल्म का टॉपिक अच्छा था।अंत मे इतना कह सकते है कि ये फ़िल्म उस समय पर आई है जहाँ के शायद दर्शक तैयार नही थे।
अगर आप शाहरुख को पसन्द करते है तो फ़िल्म को 1 बार देखने मे कोई बुराई नही है।

Wednesday, February 6, 2019

3 खूबसूरत शेर

1.जब भूख आती है ना साहब
   और मुझे छोड़ कर मेरी फूल सी
   मासूम बच्ची के चेहरे पर रूदन
  और आँखों मे आंसू लाती है तो
  मैं स्याह रात में तंग गलियों
  से निकलती हूं और अपना जिस्म
  बेच देती हूं
  हाँ साहब मै भूख के बदले जिस्म बेच देती हुं।
        .............................................
2.आज़ादी किसे कहतें हैं?
   बच्चे इस उम्मीद में बड़े हो जातें हैं कि वयस्को की            ज़िंदगी बहुत बेहतरीन और उद्देश्यों की पूर्ति के लिए होती है।
लेकिन जब वो बड़े होते हैं और उन्हें पता चलता है कि ये सब बातें कोरी बकवास हैं तब इसी बिगड़ी हुई ज़िन्दगी को जश्न के साथ जीना ही सच्ची आज़ादी है।
        ...........….................................
3.कि तुम मुझे अच्छे लगते हो...
   मैंने तो कहा तुम मुझे मेरे लगते हो....
   मैंने कब कहा कि मैं इश्क़ लिखता हुँ...
   मैंने तो कहा मैं तुम्हे लिखता हुँ..
   मैंने कब कहा कि मुझे मरहम चाहिए...
   मैने तो कहा मुझे तुम्हारी छुअन चाहिए...

Tuesday, February 5, 2019

Wi-fi क्या है?

वाई-फ़ाई क्या है (What is WiFi in Hindi)
WiFi का पूरा नाम है Wireless Fidelity. यह एक लोकप्रिय Wireless Networking Technology है. एक एसी Technology है, जिसके जरिए आज हम Internet और Network Connection का इस्तमाल रहे है. अब आपकी आसान भाषा में समझते है, यह वो Technology है जिसके जरिए हम आज अपने स्मार्ट फ़ोन, Computer, Laptop में बिना तार (Wireless) तरीके से Internet की सुविधा प्राप्त कर रहे है

इसके जरिए सिमित स्थान के अंदर Internet से हम और आप जुड़ सकते हैं. आज कल हर कोई WiFi के जरिए ही Internet Access करते हैं और इसके साथ साथ wirelessly Data Transmit भी करते हैं जैसे आप Share it और Xender से करते हैं. wireless और Hi-Fi सब्द में से WiFi सब्द उभर के आया है.

WiFi एक मानक (Standard) है. जिस Standard को हम Follow करके Computers को Wireless network से जोड़ते हैं. अभी के समय में जितने भी Smartphone, Laptop, Printer और Computer हैं. इन सभी में एक WiFi Chip रहता है. जिसके जरिए हम और आप Wireless Router से Connect करते हैं और Internet इस्तमाल  करते हैं.

wifi enable होने के बाद जब एक बार wireless Router से Connect हो जाता है तब आप internet access कर सकते हैं. किंतु Router को भी Internet से जुड़े रहने के लिए DSL और Cable Modem का इस्तमाल करता पड़ता है. वरना Internet Access नहीं होता है. WiFi वैसे तो Hi Fi से मिलता जुलता है जिसका Full Form है High Fidelity. WiFi का full form Wireless Fidelity नहीं है यह बस एक नाम है. WiFi Alliance के द्वारा चयन किया गया है. इसको WLAN नाम से भी जाना जाता है.

यह Technology Radio Waves का इस्तमाल करता है. घूमते फिरते आप Internet का इस्तमाल करते हैं.

Tum kyu nazar a jaty ho

Tum kyu nazar aa jaty ho..
Ab jbki sabkuch badal chuka h tb kyu nazar aa jaty ho
Sb badal gya h wo aag jo seeny me dahakti t hi ab unper wqt ne pani fer diya h.
Ab wha kevel dhua hai
Aankho me lgta dhua
Pehly jha tumhara chehra dekhny pr wo gulabi ho jata tha ab peela pad jata h...
Nahi badli to srf tumhari hasi...
Tmhare maathe ka til,Tmhare baen pair ka kala dhaga
Aur tmhare khat ke waady ye ab b waisy h ye nhi badlenge inhe shyd badalna bhi ni chaiye

Monday, February 4, 2019

इंतेज़ार (एक कविता) Medium

आओ चलो इंतेज़ार करें
आँधियों के रुकने का
बारिशों के थमने का
अंधेरी रात के सुबह में बदलने का
चलो इंतेज़ार करें...
आओ हम यहीं रुक जाएं यहीं हां यहीं उस बड़े पेड़ के पीछे चलो छुप जाएं
जबतक की पानी की बूंदें टूट ना जाएं....
आओ वक़्त की तसवीर बदलने का इंतेज़ार करें
तबतक जबतक की उम्मीदें जिंदा है तबतक....
रगों में खून जबतक रवां है तबतक
इंतेज़ार करें...
कोशिशें जबतक हिम्मत बन कर दिल मे जबतक ज़िंदा है तबतक....
नज़रों के धूमिल हो जाने तक
दर्द के चेहरे पर पसर जाने तक...चलो इंतेज़ार करें
आओ इस भीड़ में कहीं खो जाएं
आओ चलो सो जाएं...जबतक की मौसम बदल न जाए
चलो निकल पड़े उस दूर पहाड़ी के बगल से गयी घुमावदार काली सड़क कहीं दूर चले जाने के लिए...
आओ चलो इंतेज़ार करें
वक़्त के करवट बदलने का
नई सी उजली सुबह के आने का चलो इंतेज़ार करें.....

Feedly आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस क्या है?

कंप्यूटर विज्ञान से जुड़ी आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (या एआई) तकनीक को कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ दुनिया के लिए ‘महापरिवर्तन’ का जरिया बता रहे हैं. कहा जा रहा है कि आने वाले समय में लगभग सभी क्षेत्रों में इसी तकनीक से काम होगा. अर्थव्यवस्था के काम इसी के ज़रिए होंगे और मानवीय जीवन काफ़ी हद तक इस पर निर्भर हो जाएगा. हालांकि, अपने शुरुआती दौर में ही यह तकनीक ग़लत इस्तेमाल को लेकर विवादों में भी रही है.

लेकिन ऐसे ख़तरों के बावजूद दुनिया की सबसे मज़बूत अर्थव्यवस्थाएं इसे लेकर हर स्तर पर काम कर रही हैं. अमेरिका व यूरोप के देश जहां इस तकनीक में महारत हासिल करते जा रहे हैं, वहीं चीन ने कुछ समय पहले दो एआई रोबोट एंकरों के ज़रिए बुलेटिन पेश कर दिखा दिया कि एशिया की ओर से वह पश्चिम को टक्कर देने के लिए तैयार है.

वहीं, भारत में कुछ समय पहले तक इस तकनीक को लेकर कोई ख़ास चर्चा नहीं हो रही थी. लेकिन अब दुनियाभर के विकसित देशों में उथल-पुथल मचाने के बाद यहां भी इस पर बात होने लगी है. दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में इस तकनीक को लेकर कितनी होड़ मची है, उसे सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के एक हालिया बयान से समझा जा सकता है.

‘भारत को एआई पर ज़ोर देना चाहिए’

बीते पखवाड़े जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि उत्तरी सीमाओं पर हमारा विरोधी (चीन) साइबर युद्ध और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस पर भारी मात्रा में धन ख़र्च कर रहा है. जनरल के मुताबिक यह इस तकनीक और विस्तृत डेटा विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करने का समय है जिसमें भारत पीछे नहीं रह सकता. उनका आगे यह भी कहना था कि आने वाला समय ज़मीनी युद्ध का नहीं बल्कि साइबर युद्ध का होगा, जिसके लिए भारत को अभी से तैयारी करनी चाहिए और एआई तकनीक पर ज़ोर देना चाहिए.

सेनाध्यक्ष ने जो कहा उसे हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों ने भी समझ लिया है. इसीलिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)- हैदराबाद ने अब अपने यहां एआई विषय संबंधी पूर्ण स्नातक प्रोग्राम शुरू किया है. इस बीटेक कोर्स में छात्रों को एआई तकनीक से जुड़ा गहन अध्ययन कराया जाएगा. अर्थव्यवस्था के तमाम मोर्चों से लेकर सीमा पर देश की सुरक्षा तक में एआई क्या भूमिका निभाने जा रही है, यह सब संस्थान अपने प्रोग्राम के ज़रिए छात्रों को सिखाएगा. भारत में एआई तकनीक के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना इसका एक अहम मक़सद है.


बाकी देशों के मुकाबले भारत कितना तैयार है?

जानकार कहते हैं कि एआई को लेकर सेना और आईआईटी के स्तर पर जो बात हो रही है, उस पर ध्यान देने के साथ यह भी देखा जाना चाहिए इस तकनीक को समझने और अपनाने के लिहाज़ से भारत की स्थिति क्या है.

इस संबंध में इन्फ़ोसिस के पूर्व सीईओ और सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन की शोध एजेंसी ‘इतिहासा’ का विश्लेषण कहता है कि एआई के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध प्रकाशित होने के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है. लेकिन चीन के मुक़ाबले वह बहुत ज़्यादा पीछे है. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2013 से 2017 के बीच भारत में एआई पर किए गए शोध से संबंधित 12,135 दस्तावेज़ प्रकाशित हुए. जबकि, इसी दौरान चीन के 37,918 शोधपत्र दुनियाभर के वैज्ञानिक प्रकाशनों में छपे. यानी इस मामले में वह भारत से तीन गुना आगे है.

वहीं, जब यह देखा गया कि किस शोध को पढ़ने के लिए सबसे ज़्यादा रेफ़रेंस (संदर्भ) दिए गए तो इसमें भारत पांचवें स्थान पर आ गया और चीन व अमेरिका के अलावा ब्रिटेन और कनाडा भी उससे आगे निकल गए. इस पर ‘इतिहासा’ की रिपोर्ट तैयार करने वालों में से एक एन दयासिंधु कहते हैं, ‘यह बताता है कि भारत को एआई के क्षेत्र में अपने शोध को और बेहतर करना होगा.’ रिपोर्ट के मुताबिक़ देश में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में प्रमुख शोधकर्ताओं की संख्या मात्र 50 से 75 के बीच है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि फ़िलहाल सरकार एआई को लेकर उचित समर्थन और फ़ंड मुहैया करा रही है.


एआई की सामान्य समझ के लिहाज से भारत की नई पीढ़ी कितनी तैयार है

चीन अपने यहां स्कूली स्तर पर भी बच्चों को एआई की बुनियादी शिक्षा दे रहा है. जबकि भारत में बड़े पैमाने पर प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर ही फिलहाल अच्छी शिक्षा (सामान्य विषयों की) उपलब्ध नहीं है. सरकारी स्कूलों के पठन-पाठन में उल्लेखनीय सुधार के संकेत अब तक नहीं मिल रहे और लोगों का रुझान निजी स्कूलों की तरफ़ बना हुआ है जिनका पहला मक़सद पैसा कमाना है.

जानकार कहते हैं कि एआई तकनीक की आमद के लिहाज से भी भारत को अपनी इस महत्वपूर्ण समस्या पर ध्यान देना चाहिए. न्यूज़18 की एक रिपोर्ट में तमिलनाडु के गांवों में बच्चों को एआई संबंधी प्रशिक्षण दे रहीं के सुरिया प्रभा कहती हैं कि इस तकनीक के दौर में भारत का भविष्य निराशाजनक दिख रहा है. उनका सुझाव है कि इससे संबंधित पाठ्यक्रम देश के सभी स्कूलों में शुरू किए जाने पर विचार किया जाना चाहिए. प्रभा कहती हैं, ‘अमेरिका के हाई स्कूलों में बच्चों को आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस पढ़ाई जाती है. चीन ने अपने कस्बों और बड़े शहरों के स्कूलों में इसे पढ़ाना शुरू कर दिया है. भविष्य में यही हुनर चलने वाला है.’

रिपोर्टें देखने पर शंका होती है कि दुनिया बदलने जा रही यह तकनीक कहीं शहरी भारत तक ही सिमट कर न रह जाए. हाल ही में 12वीं एएसईआर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण स्कूलों में पढ़ रहे 14 से 18 साल के बच्चे गणित के आसान समीकरण हल नहीं कर पाते. पहले भी ऐसी रिपोर्टें आती रही हैं. इस स्थिति पर एएसईआर रिपोर्ट कहती है कि बुनियादी शिक्षा के ज़रिए बच्चों को ख़ास हुनर के लिए तैयार किया जा सकता है, लेकिन आज भी भारत में 14 प्रतिशत गांव ऐसे हैं जहां कोई स्कूल नहीं है.

भारत में एआई से जुड़े पठन-पाठन और इसे अपनाने के मोर्चे पर बाधाएं और भी हैं

मौजूदा केंद्र सरकार ने साल 2017 में नीति आयोग के तहत एक 15 सदस्यीय टीम बनाई थी. इसे भारत में एआई क्षेत्र की संभावनाओं के बारे में पता लगाने का काम दिया गया था. ख़बरों के मुताबिक़ सरकार यह जानना चाहती थी कि रोज़गार की मौजूदा व्यवस्था के रहते हुए एआई तकनीक को किस तरह अपनाया जा सकता है ताकि इससे नौकरियों को ख़तरा न हो.

टीम ने पिछले साल इस संबंध में एक विस्तृत बयान (डिस्कशन पेपर) जारी किया है. इसमें उन दिक़्क़तों का ज़िक्र किया गया है जो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को अपनाने में भारत के लिए बाधक हैं. मसलन, भारत के पास अभी एआई सिस्टम तैयार कर इसे इस्तेमाल करने का हुनर नहीं है. एक अनुमान के मुताबिक़ देश में सभी एआई पेशेवरों में से केवल चार प्रतिशत ऐसे हैं जिन्होंने डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क्स जैसी उभरती व नई तकनीकों पर काम किया है. इसके अलावा यहां इस फ़ील्ड में पीएचडी करने वाले स्कॉलर्स की भी काफ़ी कमी है.

इस बयान में टीम ने कहा कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस पर काफ़ी पैसा ख़र्च होता है और इस पर काम करने के लिए यहां ज़रूरी कंप्यूटिंग इंफ़्रास्ट्रक्चर भी नहीं है जिसके ज़रिए प्रशिक्षण दिया जा सके और एआई आधारित सेवाएं शुरू हो सकें. इसके अलावा निजी क्षेत्र और सरकारी एजेंसियों को इस तकनीक की पर्याप्त जानकारी नहीं है. उनमें इसे लेकर जागरूकता की कमी है जो इसे अपनाने में एक बड़ी बाधा है.

वहीं, ग्रामीण बच्चों को एआई के बारे में सिखा रहीं प्रभा कहती हैं, ‘एआई पर नीति आयोग की टीम की रिपोर्ट केवल संसाधनों तक पहुंच की बात करती है. लेकिन गांवों में रहने वाले बच्चों का क्या जिनके पास कोई संसाधन नहीं हैं? उन्होंने कभी रोबोट नहीं देखा जिससे पता चले कि वह असलियत में होता क्या है.

                                               (स्रोत:सत्याग्रह.कॉम)

माँ

मेरी माँ पढ़ी नही है लेकिन
जब भी मैं पढ़ने के लिए प्रदेश जाता हुँ तो
वो मुझे गाँव के उस पुराने टीले तक छोड़ने आती है और अपनी आंसुओ की स्याही से बहुत कुछ लिख जाती है...
लेकिन मेरी माँ पढ़ी नही है...

एक युद्ध त्रासदी....

वो लोग अपने घरों से तब निकाले गए
जब उन्हें एक छत की सख़्त जरूरत थी।
उनके हाथ से रोटी तब छीनी गयी
जब वो सख़्त भूख  में असहाय पड़े थे।
उनके हांथों से उनके बच्चे तब छीने गए
जब वो उनसे गंभीर मोह में बंध चुके थे।
उनके ज़ख्मो को तब छेड़ा गया
जब वो नासूर बन चुके थे।
तुम्हें नही पता कि
उनके साथ क्या-क्या हुआ तब जबकि वो उसके लिए बिल्कुल तैयार नही थे।

Polar vertex क्या है?

ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स क्या है ? ध्रुवीय भंवर या पोलर भंवर या पोलर वोर्टेक्स पर चर्चा करने से पहले, यह जान लें कि-  भं...